नीति निर्माण सरल,परन्तु क्रियान्वयन कठिन:प्रो.जटाशंकर
जैनुल आब्दीन प्रयागराज। सदनलाल सांवलदास खन्ना महिला महाविद्यालय में 19 अप्रैल को आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई क्यू ए सी) द्वारा शिक्षक वर्ग हेतु 'प्राचीन भारत में शिक्षकीय नैतिकता और वर्तमान शिक्षा नीति 2020- एक विमर्श' विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता इलाहाबाद

विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं अखिल भारतीय दर्शन परिषद के वर्तमान अध्यक्ष प्रो.जटाशंकर थे। प्रो.जटाशंकर ने अपने वक्तव्य में इस बात पर बल दिया कि नीति निर्माण तो सरल है परन्तु उसका क्रियान्वयन कठिन होता है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों का दायित्व बढ़ा है और विद्यार्थियों की स्वतंत्रता का विस्तार हुआ है। इस परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों से अत्यधिक दायित्व निर्वहन की अपेक्षा है। उन्होंने प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली के कई दृष्टांतों का उल्लेख करते हुए बताया कि उस समय गुरु विद्यार्थियों के चतुर्दिक विकास के बारे में सोचते थे और व्यावहारिक ज्ञान के सृजन पर जोर देते थे। विद्या और शिक्षा के मध्य अंतर का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है की ये हमें अपनी परम्पराओं और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से जुड़े रहते हुए विज्ञान और आधुनिक शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करता है।इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. लालिमा सिंह एवं उप-प्राचार्या डा. रचना आनंद गौड़ ने सभी का स्वागत किया एवं आई क्यू ए सी समन्वयक डा.मंजरी शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डा.ज्योति बैजल ने किया। इस परिचर्चा में महाविद्यालय के सभी शिक्षक शिक्षिकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।