इफको फुलपुर इकाई में नैनो डीएपी (तरल) उत्पादन का सफल आगाज़

इफको फुलपुर ने नैनो डीएपी उत्पादन शुरू किया, किसानों को मिलेगा कम लागत में उन्नत व पर्यावरण-अनुकूल समाधान।

इफको फुलपुर इकाई में नैनो डीएपी (तरल) उत्पादन का सफल आगाज़
इफको फुलपुर इकाई में नैनो डीएपी (तरल) उत्पादन का सफल आगाज़

(जैनुल आब्दीन)

प्रयागराज। आत्मनिर्भर भारत और सतत कृषि की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, #इफको की फुलपुर इकाई ने नैनो डीएपी (तरल) के उत्पादन की शुरुआत कर दी है। यह उत्पाद पारंपरिक डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का आधुनिक, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है, जो किसानों को कम लागत में अधिक उपज देने में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को आत्मनिर्भर बनाने और जैविक-कृषि को बढ़ावा देने की प्रेरणा से प्रेरित होकर इफको ने इस तकनीकी पहल को अमलीजामा पहनाया है। फुलपुर इकाई में शुरू हुआ यह उत्पादन उत्तर प्रदेश समेत आसपास के कई राज्यों के लाखों किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

नैनो डीएपी का निर्माण अत्याधुनिक अनुसंधान और उच्च गुणवत्ता मानकों के अनुरूप किया गया है। यह उर्वरक पारंपरिक डीएपी की तुलना में बहुत कम मात्रा में उपयोग किए जाने पर भी बेहतर परिणाम देता है। इससे न केवल किसानों की उत्पादन लागत में कमी आएगी, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी।

इफको फुलपुर के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक एवं इकाई प्रमुख संजय कुदेशिया ने इसे भारतीय कृषि के लिए एक "क्रांतिकारी पहल" बताया। उन्होंने कहा कि इफको का उद्देश्य किसानों को ऐसा समाधान देना है जो टिकाऊ, प्रभावशाली और दीर्घकालीन लाभ प्रदान करे। “नैनो डीएपी केवल एक उर्वरक नहीं, बल्कि किसानों की समृद्धि की दिशा में एक ठोस कदम है,” उन्होंने कहा।

इस अवसर पर महाप्रबंधक (नैनो) ए.पी. राजेंद्रन, अरुण कुमार, विनय विक्की, शैलेश शेरकर, पी.सी. मिश्र, अरविंद चौहान सहित इफको ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग तिवारी व महामंत्री स्वयम् प्रकाश तथा इफको इम्पलाइज संघ के अध्यक्ष पंकज पांडेय व महामंत्री विजय कुमार यादव सहित नैनो इकाई के अन्य अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

इफको की यह पहल कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ ही यह दर्शाता है कि संस्था न केवल उर्वरक उत्पादन में अग्रणी है, बल्कि किसानों के जीवन में गुणात्मक सुधार लाने की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है।

फुलपुर इकाई से शुरू हुआ यह उत्पादन भविष्य में देशभर में किसानों के लिए न केवल एक विकल्प, बल्कि एक आवश्यकता बन जाएगा। जैविक और रसायन मुक्त खेती की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।