पाश्चात्य चित्रकला में समष्टिवादी संवेदना को ग्रहण करने की क्षमता नहीं है

मार्च 2, 2024 - 22:33
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पाश्चात्य चित्रकला में समष्टिवादी संवेदना को ग्रहण करने की क्षमता नहीं है
पाश्चात्य चित्रकला में समष्टिवादी संवेदना को ग्रहण करने की क्षमता नहीं है

जैनुल आब्दीन

प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुराछात्र एवं समीक्षावादी चित्रकला के प्रवर्तक,कलाभूषण प्रो.रामचंद्र शुक्ल जन्मशती वर्ष का शुभारंभ, दृश्यकला विभाग द्वारा किया गया । जन्मशती वर्ष की शुरुआत में संगोष्ठी,प्रदर्शनी एवं परिचर्चा की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के  साथ हुई ।

प्रो.शुक्ल का जन्म जिला बस्ती के हरैया तहसील के छोटे गाँव शुक्लपुरा में एक मार्च 1925 को हुआ । प्रो.शुक्ल भारतीय चित्रकला के परिवेश में ऐसे चिंतनशील कलाकार के रूप में स्थापित रहे,जिन्होनें भारतीय कला परिदृश्य में न केवल अपनी बेबाक आलोचना के द्वारा सुविचारित दिशा प्रदान करने का काम किया।बल्कि विश्व की आधुनिक चित्रकला को पुनर्व्याख्यायित भी किया ।

कला को देशकाल की सीमाओं से परे रखकर उन्होंने बहुत मजबूती से उसका आंकलन किया। अपनी भाषा,कलादृष्टि तथा स्वयं की विकसित लेखन शैली द्वारा ऐसे मुहावरे कला जगत को दिए, जिससे कला की दुरूहता विद्यार्थी व कलाकारों तथा आमजन के लिए सहज एवं सरस हो गई ।प्रो.शुक्ल का मानना था कि पाश्चात्य चित्रकला में समष्टिवादी संवेदना को ग्रहण करने की क्षमता नहीं है जबकि भारतीय चित्रकला मूलतः समष्टिवाद है। ये विचार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्यकला विभाग के अध्यक्ष प्रो.अजय जैतली ने व्यक्त किए।

प्रो.शुक्ल की जन्मशताब्दी वर्ष के आयोजन वर्षभर चलेंगे।इस आयोजन की अध्यक्षता डीन कला संकाय इलाहाबाद विश्विद्यालय ने की। उन्होंने प्रो.शुक्ल कि कला के माध्यम से कला की बारीकियों को रेखांकित किया। मुख्य अतिथि प्रो.उत्तमा दीक्षित ने अपने संबोधन में कहा कि प्रो.शुक्ल केवल इलाहाबाद के ही नहीं बल्कि वह बनारस के भी हैं। वर्ष पर चलने वाले कार्यक्रम में से कुछ कार्यक्रम बनारस में आयोजित करने की गुजारिश भी की। विशिष्ट अतिथि प्रो.शुक्ल के पुत्र प्रदीपचंद्र शुक्ल ने पिता के रूप में विभिन्न स्मृतियों को रेखांकित किया। उनके दूसरे पुत्र डा.आनंद शुक्ल ने पिता के साथ मां के संस्मरण को भी साझा किया।

कार्यक्रम का संचालन डा. निरंजन सिंह ने किया। धन्यवाद डा.ब्रजेश यादव ने किया। इस इस अवसर प्रो.अनुपम पांडेय पर डा. संदीप कुमार मेघवाल,डा.अदिति पटेल, डा.सचिन सैनी,डा.अमृता शहर के अनेक गणमान्य जन , बड़ी संख्या में शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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