महाकुंभ में 71 देशों के राजनयिकों संग पहुंचे विदेश राज्य मंत्री मार्गेरिटा

प्रयागराज महाकुंभ में विदेश राज्य मंत्री मार्गेरिटा के नेतृत्व में 71 देशों के राजनयिकों ने संगम में स्नान किया।

फ़रवरी 3, 2025 - 21:18
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महाकुंभ में 71 देशों के राजनयिकों संग पहुंचे विदेश राज्य मंत्री मार्गेरिटा
महाकुंभ में 71 देशों के राजनयिकों संग पहुंचे विदेश राज्य मंत्री मार्गेरिटा

प्रयागराज। विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में इस बार अंतरराष्ट्रीय सहभागिता देखने को मिली। विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने 71 देशों के राजनयिकों और मिशन प्रमुखों के 110 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इन गणमान्य अतिथियों ने न केवल महाकुंभ की भव्यता को नजदीक से देखा, बल्कि आध्यात्मिक संस्कृति को आत्मसात करने का भी प्रयास किया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि महाकुंभ 2025 के इस ऐतिहासिक आयोजन में विभिन्न देशों के राजनयिकों ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने संगम में पुण्य स्नान किया और अखाड़ों की परंपराओं को करीब से जाना। जायसवाल ने इसे एक "अतुलनीय आध्यात्मिक अनुभव" बताया।

प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान, रूस, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, मलेशिया, न्यूजीलैंड, इटली, कनाडा, स्विट्जरलैंड और थाईलैंड समेत कई देशों के राजनयिक मौजूद रहे। इन गणमान्य व्यक्तियों ने प्रयागराज के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझा तथा सनातन परंपरा से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों में भाग लिया।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विदेशी प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समागम है, जो अध्यात्म, परंपरा और आस्था का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि अब तक 35 करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में भाग ले चुके हैं और 26 फरवरी तक यह संख्या 45 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।

योगी आदित्यनाथ ने विदेशी मेहमानों को 2025 में होने वाले महाकुंभ के मुख्य आयोजन में भी भाग लेने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक समागम में आपका आना भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने में सहायक होगा।

महाकुंभ में राजनयिकों की भागीदारी भारत की आध्यात्मिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का सशक्त उदाहरण है। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान विदेशी मेहमानों ने कुंभ मेले की दिव्यता, अखाड़ों की परंपराओं और आध्यात्मिक अनुष्ठानों को नजदीक से देखा, जिससे भारतीय संस्कृति की व्यापकता का अनुभव किया।

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