निजी अस्पताल से निराश एक्यूट लिवर फेलियर के रोगी की केजीएमयू ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट ने बचाई जान

केजीएमयू ट्रॉमा यूनिट ने एक्यूट लिवर फेलियर के मरीज की जान बचाई, जो पहले निजी अस्पताल में असफल इलाज के बाद आया था।

जनवरी 7, 2025 - 16:22
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निजी अस्पताल से निराश एक्यूट लिवर फेलियर के रोगी की केजीएमयू ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट ने बचाई जान
निजी अस्पताल से निराश एक्यूट लिवर फेलियर के रोगी की केजीएमयू ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट ने बचाई जान

लखनऊ: लखनऊ स्थित केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) के ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट (टीवीयू) में एक 30 वर्षीय पुरुष रोगी को भर्ती किया गया था। रोगी अमेठी के निवासी हैं। वे पहले लखनऊ के एक निजी अस्पताल में 1.5 महीने तक भर्ती थे, जहाँ उन्हें हेपेटिक फेल्योर, अल्टर्ड सेंसोरियम (होशोहवास खो जाना), मेनिंगोइन्सेफेलाइटिस (दिमागी सूजन), थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट्स की कमी) और सेप्टिक शॉक (शरीर में इन्फेक्शन का फैल जाना, जिससे ब्लड प्रेशर कम हो गया) जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा।

रोगी को उच्च स्तरीय वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता थी। निजी अस्पताल ने इतनी जटिल बीमारियों के रहते अपने हाथ खड़े कर दिए थे और मरीज़ की जान का खतरा देख केजीएमयू ले जाने की हिदायत दी थी।

चिकित्सीय उपचार: केजीएमयू के ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर ज़िया अरशद ने बताया, "मरीज की हालत बहुत गंभीर थी। उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। उनकी स्थिति का गहनता से मूल्यांकन कर प्रभावी उपचार दिया गया। मरीज अब वेंटिलेटर से बाहर है और उनकी लिवर प्रोफाइल में सुधार हो रहा है।"

आईसीयू के चिकित्सक डॉ. रवि प्रकाश और डॉ. अभिषेक राजपूत ने बताया कि रोगी की स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है और उनका उपचार सफल रहा है।

रेजिडेंट डॉक्टर अंकुर, डॉक्टर सृष्टि, डॉक्टर स्वाती और डॉक्टर ज़ौ ने मरीज की निगरानी और इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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