भारतीय पारंपरिक ज्ञान पद्धति के समावेश पर विद्वानों ने रखे विचार

कुल भास्कर आश्रम पीजी कॉलेज प्रयागराज में भारतीय पारंपरिक ज्ञान पद्धति के समावेश पर व्याख्यान आयोजित, प्रो. प्रभा शंकर शुक्ला ने विचार साझा किए।

भारतीय पारंपरिक ज्ञान पद्धति के समावेश पर विद्वानों ने रखे विचार
भारतीय पारंपरिक ज्ञान पद्धति के समावेश पर विद्वानों ने रखे विचार

(जैनुल आब्दीन)

प्रयागराज। कुल भास्कर आश्रम पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, प्रयागराज में भारतीय पारंपरिक ज्ञान पद्धति के समावेश पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर पूर्वी पर्वतीय केंद्रीय विश्वविद्यालय (नेहू), शिलांग, मेघालय के कुलपति एवं महाविद्यालय के पूर्व छात्र प्रो. प्रभा शंकर शुक्ला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

अपने व्याख्यान में प्रो. शुक्ला ने बताया कि किस प्रकार आधुनिक शिक्षा प्रणाली में भारतीय पारंपरिक ज्ञान पद्धति को समाहित कर राष्ट्रीय विकास में योगदान दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपराएं और ज्ञान विज्ञान, कृषि, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

प्रो. शुक्ला ने अपने संघर्षमय छात्र जीवन और चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट के रूप में अपने करियर की शुरुआत से लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और फिर कुलपति बनने तक की प्रेरणादायक यात्रा को साझा किया। उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी क्षमताओं को निखारने और निरंतर प्रयासरत रहने की प्रेरणा दी।

महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. गीतांजलि मौर्य ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कॉलेज की गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का सफल संचालन संयोजक प्रो. एस.पी. विश्वकर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एस.पी. वर्मा ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. वी.एन. पाण्डेय ने मुख्य अतिथि का विशेष स्वागत किया। कार्यक्रम में समस्त शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं और कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।