त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी: सहकारिता क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल - डॉ. प्रवीण सिंह जादौन
डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी को सहकारिता क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल बताया, जो शिक्षा और प्रशिक्षण में नवाचार लाएगी।

(जैनुल आब्दीन)
प्रयागराज। सहकारिता क्षेत्र को सशक्त करने के उद्देश्य से त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का निर्णय लिया गया है। लोकसभा ने बुधवार को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 को ध्वनिमत से पारित किया।
इस ऐतिहासिक पहल का स्वागत करते हुए सहकार भारती उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रदेश महासचिव एवं उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ के निदेशक डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने कहा कि यह विश्वविद्यालय सहकारिता के क्षेत्र में नवाचार का माध्यम बनेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुए इसे सहकारिता क्षेत्र के लिए क्रांतिकारी कदम बताया।
डॉ. जादौन ने कहा कि सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण में आधुनिक तकनीकों और वैश्विक मानकों का समावेश होगा, जिससे कुशल मानव संसाधन विकसित होंगे। उन्होंने इस विश्वविद्यालय को ग्रामीण भारत के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का प्रभावी साधन बताया।
यह विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन, कृषि सहकारिता, डेयरी, मत्स्य पालन, ग्रामीण विकास, बैंकिंग और सहकारी व्यापार जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ शिक्षा प्रदान करेगा। इसके पाठ्यक्रम व्यावहारिक अनुभव और आधुनिक तकनीकी ज्ञान पर आधारित होंगे।
डॉ. जादौन ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का मॉडल 'शिक्षा के सहकारी मॉडल' को बढ़ावा देगा, जिससे छात्रों को अकादमिक ज्ञान के साथ-साथ सहकारी संगठनों का वास्तविक अनुभव भी मिलेगा। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए इसे लाभकारी बताया।
त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी गुजरात के आणंद में स्थापित की जाएगी और इसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में शोध, विकास और वैश्विक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना होगा। डॉ. जादौन ने इस पहल को 'सहकारिता का स्वर्ण युग' करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का आभार प्रकट किया।