रामनवमी पर राजा कासिम के नेतृत्व में भंडारा, राम को बताया सबका पूर्वज
बाराबंकी में रामनवमी पर मुस्लिम समुदाय ने भंडारे में भाग लेकर सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा संदेश दिया।

बाराबंकी : रामनवमी के पावन अवसर पर बाराबंकी में एक अनूठा दृश्य देखने को मिला, जब भाजपा के वरिष्ठ नेता राजा कासिम के नेतृत्व में आयोजित प्रसाद वितरण कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मुस्लिम भाइयों ने प्रसाद ग्रहण कर प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव को पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया।
राजा कासिम ने इस अवसर पर कहा, “यह देव और महादेव की धरती है। इस धरती ने हमेशा मानवता और धार्मिक एकता का संदेश दिया है। हमने उपासना पद्धति बदली है, अपने पूर्वजों को नहीं। राम हमारे पूर्वज भी हैं और 70000 59वें पैगंबर भी। राम मर्यादा और मानवता के प्रतीक हैं, और भारत के प्रत्येक नागरिक में राम का अंश बसता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।”
यह आयोजन सिर्फ एक भंडारा नहीं था, बल्कि धार्मिक समरसता और सांस्कृतिक सौहार्द का जीवंत उदाहरण बना। आयोजन में शामिल होने वाले प्रमुख मुस्लिम समाज के लोगों में अब्बास अली अंसारी, दानिश सिद्दीकी, फसल हुसैन बाबा, पुत्तन मियां, सोहेल अंसारी, डॉक्टर मिस्बा, मोहम्मद शकील, मोहम्मद मुजीब, जोगी शाहिद रिजवी, फराज हुसैन जैसे गणमान्य नागरिकों के नाम प्रमुख हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित मुस्लिम समाज के लोगों ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भारत की असली ताकत इसकी विविधता में एकता है। राम सिर्फ एक धर्म विशेष के नहीं, बल्कि पूरी मानवता के प्रतीक हैं।
राजा कासिम ने आगे कहा, “हमें एक-दूसरे के पर्व और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। जब सभी धर्मों के लोग मिलकर पर्व मनाते हैं, तब एक नया भारत बनता है – जो भाईचारे, प्रेम और सहिष्णुता पर आधारित हो।”
इस आयोजन ने यह दिखा दिया कि धर्म की दीवारें इंसान के दिलों में नहीं, सिर्फ सोच में होती हैं। रामनवमी के इस मौके पर मुस्लिम समुदाय की सहभागिता ने समाज को एक नई सोच, नई दिशा और नई ऊर्जा दी है।
इस आयोजन के माध्यम से यह भी संदेश गया कि राजनीति सिर्फ मतभेद की नहीं, बल्कि मेल-मिलाप और समाज को जोड़ने की भी हो सकती है। राजा कासिम के इस प्रयास ने बाराबंकी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश को एक प्रेरणा दी है कि एक साथ मिलकर पर्व मनाने से न केवल सामाजिक दूरी घटती है, बल्कि दिलों की दूरी भी मिटती है।
बाराबंकी की यह तस्वीर देश के लिए मिसाल बन सकती है, जहाँ हर धर्म, हर वर्ग मिलकर एक दूसरे के पर्व को अपना समझकर मनाता है। यही भारत की आत्मा है, यही राम का असली संदेश है – “सबमें राम हैं, राम में सब हैं।”