नकली, सिंथेटिक मावा से तैयार हो रहा ’घेवर’ - सावन की मिठाई कहा जाने वाला घेवर कर सकता है बीमार

नकली, सिंथेटिक मावा से तैयार हो रहा ’घेवर’ - सावन की मिठाई कहा जाने वाला घेवर कर सकता है बीमार

सुमित गोस्वामी

मथुरा। त्योहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ गई है। मांग और आपूर्ति का यह अंतर मिलावट खोरों के लिए मुफीद मौसम  है। एक किलो दूध में दो सौ ग्राम मावा ही मिलता है। मथुरा जिले में इस समय दूध के दाम 60 रुपये प्रति किलो के आसपास हैं। यानी कि एक किलो मावा के लिए पांच किलो दूध फूंकना होगा। जिसकी कीमत 300 रुपये बैठती हैर्। ईंधन और लेवर का खर्चा अलग से, फिर दुकान पर सजेगा तब घेवर बिकेगा। बावजूद इसके 200 से 250 रुपये किलो के सस्ते घेवर पर भी मावा की मोटी परत आपको मिल जाएगी। हालांकि महंगे घेवर में भी शुद्धता की गारंटी नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत में आधे से ज्यादा लोग कैंसर के शिकार होंगे। मिलावटी दूध को इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार बताया गया है। किसान रामवीर सिंह तौमर के मुताबिक एक किलो दूध से सिर्फ दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता है।

20 वीं जनगणना में घटी पशुओं की संख्या : मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मथुरा के मुताबिक वर्तमान में जनपद में लगभग दो लाख 14 हजार गौ वंश हैं, पांच लाख 76 हजार भैंस वंश के पशु हैं। वर्ष 2019 तक कुल 20 बार पशुओं की गणना हो चुकी है। 2012 में हुई 19 वीं गणना में पिछले वर्षों की तुलना में पशुओं की संख्या में इजाफा हुआ था। अब 20वीं गणना में पशुओं की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गई है। 20 वीं पशु गणना में 214236 कुल गायों की संख्या थी जबकि 576556 भैंसों की संख्या थी।

कैसे बनता है नकली मावा : इसे बनाने में अक्सर शकरकंदी, सिंघाडे़ का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है। नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े। वजन बढ़ाने के लिए मावा में आटा भी मिलाया जाता है। नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाया जाता है। कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।

कैसे बनता है सिथेटिक दूध : सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है। इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वॉशिग पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है।