मुख्य सचिव ने सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के साथ बैठक में प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा की

मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने भारत सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री शैलेश कुमार सिंह के साथ बैठक में प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा की।

मुख्य सचिव ने सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के साथ बैठक में प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा की
मुख्य सचिव ने सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के साथ बैठक में प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा की



लखनऊ।
 मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने भारत सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री शैलेश कुमार सिंह के साथ बैठक में प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा की।
        अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-तृतीय के समस्त अवशेष कार्यों को वर्ष 2024 से पहले पूर्ण कर लिया जाए। सड़क से जुड़ने से गांवों में न सिर्फ आवागमन होगा, बल्कि ग्रामीणों के लिए कारोबार-व्यापार भी आसान होगा। ग्रामीणों के जनजीवन में सुधार आएगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। किसान अपना अनाज, सब्जी, दूध आदि को आसानी से पास की मंडी तक ले जा सकेंगे और आसानी से बेंच सकेंगे। इससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी।
        उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरे का सुरक्षित निस्तारण गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। बिटुमिनस निर्माण में वेस्ट प्लास्टिक के उपयोग की काफी संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़को के निर्माण में वेस्ट प्लास्टिक के प्रयोग को प्राथमिकता दी जा रही है। निर्मित होने वाली सड़कें अन्य सड़कों की अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ हैं। इनमें पानी से होनी क्षति के प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता होती है। इसके अतिरिक्त नई टेक्नोलॉजी कंक्रीट पेवमेंट (पैनल्ड कंक्रीट) को पीएमजीएसवाई में लागू किया गया है।
          उन्होंने कहा कि जीपीएस बेस्ड मॉनिटरिंग के लिए पीएमजीएसवाई-तृतीय की निर्माणाधीन परियोजनाओं में 1450 से अधिक वीटीएस इनेबल्ड जीपीएस डिवाइस को इंस्टॉल किया गया है। इससे गुणवत्ता में सुधार के साथ कार्य में तेजी आयी है और कार्य तय समय में पूरा हो रहा है। निर्मित व मरम्मत की गई सड़क का दोबारा प्रस्ताव न पास कराया जा सके, इसलिए सड़कों की जियो टैगिंग कर ऑनलाइन जियो सड़क पोर्टल पर अपलोड कराया जा रहा है।
          उन्होंने कहा कि सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला पहला राज्य है। यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है। एफडीआर प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कुल 5.35 लाख ट्रक लोड (टेंडेम) की बचत की गई। एफडीआर कार्यों के प्रभावी कार्यान्वयन और क्रियान्वयन के लिए "उत्तम-एफडीआर पोर्टल" का उपयोग किया जा रहा है।
          उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लखपति बनाने के उद्देश्य से लखपति महिला योजना शुरू की गई है। इसके योजना के तहत 14.66 लाख समूह महिलाओं को वर्ष 2025 तक लखपति बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
        बैठक में बताया गया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वेस्ट प्लास्टिक के प्रयोग के लिए 3000 किमी नियत किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा 4108 किमी की 639 सड़कों का वेस्ट प्लास्टिक के प्रयोग से निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें 2650 मीट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट की खपत संभावित है।
        पीएमजीएसवाई-तृतीय के अंतर्गत 18524.30 किमी सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसमें से 11856.24 किमी का निर्माण कार्य पूरा हो गया है, अवशेष कार्य प्रगति पर है। पीएमजीएसवाई-द्वितीय के अंतर्गत 965 सड़कों का 90 प्रतिशत तथा 36 आरसीपीडब्लूए सड़कों का शत-प्रतिशत डाटा जियो सड़क पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है।
        इसके अतिरिक्त बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की अद्यतन प्रगति से अवगत कराया गया। अब तक एसएचजी को 2235 उचित मूल्य की दुकानें आवंटित की जा चुकी हैं और उनके द्वारा पात्रों को राशन वितरित करना शुरू कर दिया गया है। इसी तरह महिला समूहों की आय में वृद्धि के लिए प्रयासों से अवगत कराया गया।
       बैठक में अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास श्री हिमांशु कुमार, ग्राम्य विकास आयुक्त श्री गौरी शंकर प्रियदर्शी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी यूपी ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण श्री भानु चन्द्र गोस्वामी, निदेशक उद्यान श्री आर. के तोमर  सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।