छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले और हत्याएं राज्य में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। सरकार को पत्रकार सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

बढ़ते हमले और हत्याएं पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल
छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में पत्रकारों पर हो रहे हमले और हत्याएं राज्य में स्वतंत्र पत्रकारिता की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। 2025 में बस्तर के स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। मुकेश ने सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जिसके बाद उन्हें धमकियां मिल रही थीं। 1 जनवरी को लापता होने के बाद 3 जनवरी को उनका शव सेप्टिक टैंक में मिला।
पहली घटना नहीं, पत्रकारों पर पहले भी हो चुके हैं हमले
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग के कारण निशाने पर आए हैं।
2010: पत्रकार सुनील पाठक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
2011: गरियाबंद के पत्रकार उमेश राजपूत की भी हत्या कर दी गई।
2018: पत्रकार संतोष यादव को गिरफ्तार किया गया था।
हाल ही में: बस्तर के पत्रकार कमलेश तिवारी पर भी हमला हुआ।
यह घटनाएं बताती हैं कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को न केवल राजनीतिक दबाव झेलना पड़ता है, बल्कि वे जीवन के खतरे का भी सामना करते हैं।
नक्सल प्रभावित इलाकों में पत्रकारिता जोखिम भरी
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पत्रकारों के लिए चुनौतियां और भी अधिक हैं। यहां नक्सली और सुरक्षाबल दोनों ही पत्रकारों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में पत्रकारों पर सरकार का एजेंट या नक्सल समर्थक होने का आरोप लगाया जाता है।
जो पत्रकार नक्सलवाद, भ्रष्टाचार और सरकारी अनियमितताओं के खिलाफ रिपोर्टिंग करते हैं, वे अक्सर खतरे में आ जाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि राज्य में पत्रकारिता के लिए स्वतंत्र और सुरक्षित वातावरण का अभाव है।
सरकार को उठाने चाहिए ठोस कदम
छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की योजना बनाई है। हालांकि, इस योजना को लागू करने की गति धीमी रही है।
राज्य सरकार ने मुकेश चंद्राकर हत्याकांड की जांच के लिए SIT का गठन किया है, लेकिन सिर्फ जांच से बात नहीं बनेगी। पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कानून और सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
स्वतंत्र पत्रकारिता को खतरा
यदि छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को सुरक्षित माहौल नहीं मिला तो यह राज्य में स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
स्वतंत्र मीडिया किसी भी लोकतंत्र की नींव होती है। यदि पत्रकार भयमुक्त होकर काम नहीं कर पाएंगे, तो स्वतंत्रता और न्याय की कल्पना करना असंभव होगा। इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि वह पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच करवाए।
पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा के बिना कोई भी लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता। सरकार को चाहिए कि वह कड़े कानून बनाए और सुरक्षा उपायों को लागू करे ताकि पत्रकार अपनी जिम्मेदारी को बिना किसी डर के निभा सकें।
What's Your Reaction?






