अमित शाह का बड़ा बयान : आधिकारिक इतिहास से बाहर निकलने की जरूरत

अमित शाह ने कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे इतिहास से मुक्त होकर भारत को अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पहचानना होगा।

जनवरी 3, 2025 - 17:38
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अमित शाह का बड़ा बयान : आधिकारिक इतिहास से बाहर निकलने की जरूरत
अमित शाह का बड़ा बयान


लखनऊ: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के इतिहास को अब भारतीय दृष्टिकोण से लिखने का समय आ गया है। उन्होंने यह बात 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और सम्बद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक के विमोचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों से मोदी सरकार कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत है।

अमित शाह ने कहा, "भारत को दशकों तक गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। इतिहासकारों ने इसे सिर्फ राजनीतिक सीमाओं के संदर्भ में देखा, जबकि भारत एक सांस्कृतिक राष्ट्र है।" उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से बंगाल तक की विविधताओं को नजरअंदाज कर भारत को जियोपॉलिटिकल देश के रूप में दिखाया गया।

शाह ने बताया कि पुस्तक ने हजारों साल पुराने ग्रंथों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है। पुस्तक में कश्मीर की सांस्कृतिक, भाषाई और आध्यात्मिक धरोहर को दर्शाया गया है।

धारा 370 हटाना ऐतिहासिक कदम
अमित शाह ने धारा 370 को हटाने के फैसले को भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा सुधार बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने दशकों तक जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग दिखाने का प्रयास किया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस प्रावधान को खत्म कर भारत को एक नई दिशा दी गई।

शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीरी, लद्दाखी, बाल्टी और डोगरी भाषाओं को शासन की भाषा बनाकर स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा दिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास को अब बदला जाएगा। "हमारा इतिहास आत्मविश्वास, प्रमाणों और भारतीय संस्कृति के आधार पर लिखा जाना चाहिए। अब भारत अपने विचारों और संस्कृति के आधार पर आगे बढ़ रहा है।"

अमित शाह के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव हुए हैं। क्षेत्र अब विकास के नए पथ पर आगे बढ़ रहा है।

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