ऊंट के मुंह जीरा साबित हो रहा है विकास कार्यों के लिए आई धनराशि

आनन्दी मेल सवांददाता
अम्बेडकरनगर - गांवों में तैनात संविदा कर्मियों से लेकर प्रधान का मानदेय ग्राम पंचायत के विकास कार्य में वित्तीय रूप में रोड़ा बन रहा है, जिससे ग्राम प्रधानों को मरम्मत जैसे विकास कार्यों को पूरा करने में पसीने छूट रहे है।विकास खंड बसखारी के 69 ग्राम पंचायतें हैं, लगभग 60 फीसदी ग्राम पंचायत में जनसंख्या के आधार पर एक वर्ष में राज्य वित्त, 15वां वित्त समेत अन्य फंडों को मिलाकर औसतन पांच लाख रुपए प्रति ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए आता है। जबकि राज्य वित्त में टाइड फंड स्वच्छता अभियान व अनटाइड फंड मानदेय के लिए स्वीकृत किया जाता है।
ग्राम पंचायत में तैनात केयर टेकर व डाटा कम इंट्री पंचायत सहायक व प्रधान का 17 हजार रुपए महीने मानदेय निर्गत किया जाता है। कुल मिलाकर लगभग दो लाख रुपए प्रति वर्ष मानदेय में निकल जाता है। शेष तीन लाख रुपए गांव के विकास कार्यों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। ग्राम प्रधानों को हैंडपम्प रिबोर, नाली व खड़ंजा समेत अन्य मरम्मत कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इतना ही नहीं मनरेगा के पक्के कार्यों में लगने वाले लोहा को भी 15वां वित्त से भुगतान करना पड़ता है। जबकि मनरेगा के तहत नाली, इंटरलॉकिंग समेत अन्य कार्य तो कच्चा व पक्का के औसत बनाकर पूरा कर लिया जाता है।‘शासन के निर्देशानुसार विकास कार्यों को करवाकर नियमानुसार संविदा कर्मियों का भुगतान किया जाता है। मनरेगा में निर्धारित कच्चे कार्यों का औसत बढ़ने पर कुछ मरम्मत कार्यों की स्वीकृति प्रदान की जाएगी।