प्राचीन ज्ञान से प्रेरित नेतृत्व: लखनऊ में आयोजित कार्यशाला ने दिए नवाचार के सूत्र

भारतीय रेलवे संस्थान लखनऊ में नेतृत्व विकास पर आधारित कार्यशाला ने कर्मयोगी मूल्यों से आत्म-जागरूकता को नई दिशा दी।

प्राचीन ज्ञान से प्रेरित नेतृत्व: लखनऊ में आयोजित कार्यशाला ने दिए नवाचार के सूत्र
लखनऊ में आयोजित कार्यशाला ने दिए नवाचार के सूत्र

लखनऊ। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान (IRITM), लखनऊ में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय कार्यशाला का विषय था – "भारतीय ज्ञान प्रणाली-आधारित नेतृत्व", जिसका उद्देश्य न केवल प्रशासनिक क्षमताओं का विकास करना था, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित नेतृत्व मूल्यों को पुनर्स्थापित करना भी था।

कार्यशाला में मुख्य रूप से कर्मयोगी मिशन के चार संकल्पों – स्व-शासन, सहानुभूति, उद्देश्यपूर्णता और प्रक्रिया उत्कृष्टता – को आधार बनाकर नेतृत्व क्षमता को गहराई से समझाने का प्रयास किया गया। प्रतिभागियों को स्वयं की प्रवृत्तियों, कार्यशैली और मूल जिम्मेदारियों की पहचान के माध्यम से आत्म-जागरूकता बढ़ाने की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

कार्यशाला का संचालन बृहत संस्था द्वारा किया गया, जो प्रशासनिक सुधार और नेतृत्व विकास के क्षेत्र में देशभर में कार्यरत है। बृहत की ओर से प्रशिक्षकों ने प्रतिभागियों को बताया कि किस प्रकार भारतीय ज्ञान प्रणाली, जैसे कि उपनिषदों, भगवद गीता और अन्य ग्रंथों में वर्णित नेतृत्व सिद्धांत आधुनिक कार्यस्थलों में भी पूर्णतः प्रासंगिक हैं।

कार्यशाला में CBC (Capacity Building Commission) के पर्यवेक्षक तनुश्री और अंकित की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी औपचारिक स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने कार्यशाला के दौरान संस्थान की भूमिका और कर्मयोगी मिशन की व्यापकता पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को विभिन्न गतिविधियों, संवाद सत्रों और नेतृत्व अभ्यासों में भाग लेने का अवसर मिला, जिससे उन्हें आत्म-निरीक्षण करने, विचारों को व्यवस्थित करने और व्यक्तिगत तथा पेशेवर जीवन में प्रभावशीलता बढ़ाने की प्रेरणा मिली।

संस्थान के निदेशक ने अपने वक्तव्य में कहा कि “नेतृत्व केवल आदेश देने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह सेवा, संवेदनशीलता और उद्देश्य की भावना से जुड़ा एक नैतिक दायित्व है, जिसकी नींव भारतीय ज्ञान परंपरा में गहराई से निहित है।”

कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने इस अनुभव को अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया। इस प्रकार की कार्यशालाएँ भारतीय प्रशासनिक ढांचे में नैतिकता, संवेदना और मूल्य-आधारित नेतृत्व की नींव मजबूत करने की दिशा में सार्थक प्रयास हैं।