मनुष्य और प्रकृति का दर्शनशास्त्र के बीच गहरा संबंध है:डा. अविनाश
मनुष्य और प्रकृति के बीच सौहार्दपूर्ण समन्वय ही दर्शनशास्त्र का अभी

जैनुल आब्दीन
प्रयागराज। मनुष्य और प्रकृति के बीच सौहार्दपूर्ण समन्वय ही दर्शनशास्त्र का अभीष्ट है। शुक्रवार को दर्शनशास्त्र विभाग में पुनर्नवा-दर्शन सर्किल के प्रारम्भ पर अपने उद्बोधन में बीज वक्तव्य देते हुए कुलानुशासक डा. अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने कही। आगे कहा कि दर्शनशास्त्र समस्त ज्ञान-विज्ञान का आधार अधिष्ठान है और इसका निष्पक्ष ज्ञान हमें जीवन में संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है।
आज के डिजिटल समय में मानव, मानवीयता और मानव-भविष्य के लिए नैतिकता और नैतिक जीवन हमारे लिए एक अनिवार्यता बन गया है। हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय परिवेश में जो भी दुरभिसंधियां दिख रही हैं उनका समाधान भारतीय नीतिशास्त्र और आध्यात्मिकता में वर्णित नैतिक सदाचरण के अनुपालन में ही निहित है पुनर्नवा-दर्शन सकिल में विशिष्ट उद्धबोधन देते हुए समाज कार्य विभाग की डा.गीतांजलि श्रीवास्तव ने समाज और सामाजिक सम्बंधों के ताने-बाने और इसकी दार्शनिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन डा. युवराज सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डा.अर्पिता सिंह ने दिया। कार्यक्रम में दर्शनशास्त्र विभाग के छात्र अभिषेक पटेल, शिवानी पाल और आदित्य प्रताप ने विषय पर अपने विचार रखे तथा इसमें डा.कुँवर साहब, डा.सुशील सिंह, डा.गोविन्द सहित भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।