नैनो उर्वरकों से कृषि क्षेत्र में नई क्रांति: बीज शोधन और ड्रोन से छिड़काव की प्रभावी प्रक्रिया

जैनुल आब्दीन प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू फार्मर्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, कोरडेट इफको फूलपुर द्वारा समन्वित एक जागरूकता कार्यक्रम के तहत ग्राम देवनहरी, विकासखंड सहसों, जनपद प्रयागराज में किसानों को नैनो उर्वरकों के उपयोग की जानकारी दी गई।

दिसंबर 13, 2024 - 19:51
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नैनो उर्वरकों से कृषि क्षेत्र में नई क्रांति: बीज शोधन और ड्रोन से छिड़काव की प्रभावी प्रक्रिया
नैनो उर्वरकों से कृषि क्षेत्र में नई क्रांति

इस कार्यक्रम में कृषक दंपति लक्ष्मी नारायण मिश्र और श्रीमती अर्चना मिश्रा के खेतों में गेहूं और आलू की बुवाई से पहले नैनो डीएपी तरल से बीज शोधन किया गया। साथ ही, दानेदार उर्वरकों की मात्रा को आधा कर बुवाई की प्रक्रिया को भी अपनाया गया।

कार्यक्रम के दौरान, कोरडेट के मुकेश तिवारी ने नैनो डीएपी से बीज शोधन का तरीका प्रदर्शित किया। उन्होंने बताया कि गेहूं के बीज का शोधन 5 एमएल नैनो डीएपी प्रति किलोग्राम बीज की दर से करना चाहिए। इसके अलावा, फसल की 25 से 30 दिन की अवस्था में नैनो डीएपी का पर्णीय छिड़काव 4 एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से किया जाना चाहिए। फसल के 40 से 45 दिन के बीच नैनो यूरिया प्लस का छिड़काव 4 एमएल प्रति लीटर पानी में किया जाए। इस प्रक्रिया में, 15 लीटर पानी की टंकी में ढाई ढक्कन नैनो उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है।

नैनो उर्वरकों के प्रयोग से कृषि में पर्यावरण संरक्षण, जल और मिट्टी की सेहत बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, किसानों को रासायनिक उर्वरकों पर होने वाले खर्च में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक रूप से भी लाभ मिलता है। इस अवसर पर, क्षेत्रीय किसान और वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में एक और महत्वपूर्ण पहल के रूप में कृषि ड्रोन द्वारा नैनो उर्वरकों का छिड़काव किया गया। कोरडेट फूलपुर के प्रधानाचार्य डॉ. हरिश्चंद्र के मार्गदर्शन में यह कार्य किया गया, जिससे किसानों को छिड़काव में सुविधा हुई और समय की भी बचत हुई।

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