पनकी और चंदारी स्टेशनों पर संकोरे वितरित कर फैलाई जागरूकता

रेलवे स्टेशन मास्टरों ने पनकी और चंदारी में मिट्टी के संकोरे वितरित कर जल व पक्षी संरक्षण को जन आंदोलन बनाया

पनकी और चंदारी स्टेशनों पर संकोरे वितरित कर फैलाई जागरूकता
पनकी और चंदारी स्टेशनों पर संकोरे वितरित कर फैलाई जागरूकता

कानपुर। ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी में जब इंसानों तक को राहत के साधन मुश्किल लगते हैं, तब बेजुबान पक्षियों की हालत और भी दयनीय हो जाती है। इसी सच्चाई को सामने लाकर संवेदनशील पहल करते हुए, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (AISMA) के बैनर तले रेलवे स्टेशन मास्टरों और कर्मियों ने पक्षियों के लिए राहत का रास्ता तलाशा है। रविवार को पनकी धाम और चंदारी रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म, प्रतीक्षालय और टिकट काउंटर जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर यात्रियों को मिट्टी के संकोरे वितरित किए गए।

इस अभियान के तहत यात्रियों से अपील की गई कि वे अपने घर, छत, कार्यालय या पेड़ों की छांव में इन संकोरों को रखकर उनमें दाना और पानी भरें ताकि प्यास से मरने वाले हजारों पक्षियों की जान बचाई जा सके। स्टेशन अधीक्षक पनकी, कमल सिंह मीना ने बताया कि यह केवल एक सेवा कार्य नहीं, बल्कि मानवीय कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्म के इन महीनों में यदि हम थोड़े से प्रयास से पक्षियों को जीवनदान दे सकते हैं, तो यह हमारे संस्कार और संवेदना का परिचायक होगा।

इस जन जागरूकता अभियान की शुरुआत 29 मई को प्रयागराज मंडल के कानपुर सेंट्रल स्टेशन से हुई थी, जहां मण्डल सचिव ज्ञानेन्द्र पाण्डेय, मण्डल कोषाध्यक्ष विनय कुमार विश्वकर्मा और स्टेशन अधीक्षक अवधेश कुमार द्विवेदी सहित कई अन्य रेल कर्मियों ने सहभागिता की थी। मंडल अध्यक्ष इंद्रसेन ने जानकारी दी कि यह अभियान 12 जून तक चलेगा और प्रयागराज मंडल के 135 से अधिक स्टेशनों को कवर किया जाएगा।

चंदारी और पनकी स्टेशन पर रविवार को आयोजित कार्यक्रम में स्टेशन मास्टर दिनेश सिंह, अभिषेक वर्मा, भूपेंद्र सिंह, सुधीर कुमार सलोनी, उमाकांत वर्मा, अंकुर पाल, सुनील कुमार और सिद्धांत शंकर दूबे समेत अनेक रेल अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

यह पहल केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश नहीं देती, बल्कि यह भी दर्शाती है कि रेलवे कर्मचारी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। मिट्टी के संकोरे प्रतीक हैं उस करुणा के, जो बेजुबानों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को उजागर करते हैं। यदि हर नागरिक इस पुनीत कार्य को अपनाए तो यह जन आंदोलन का रूप ले सकता है।

इस अभियान के माध्यम से न सिर्फ पर्यावरण और पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव और चेतना का संचार भी करेगा।