मऊ में धर्म-संवाद: दुर्गा शंकर मिश्रा ने किया मंदिरों में नव मूर्तियों का अनावरण, कथा और भंडारे में हुए शामिल
पूर्व मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने मऊ में धार्मिक आयोजनों में भाग लिया, नव मूर्ति स्थापना और कथा में सम्मिलित हुए

मऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा का मऊ जनपद में आगमन रविवार को एक विशेष धार्मिक अवसर में तब्दील हो गया, जब उन्होंने भितिया ब्रह्म स्थान परिसर में आयोजित विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया।
इस अवसर पर भव्य वैदिक रीति-रिवाजों के साथ श्रीराम दरबार, श्रीराधा-कृष्णजी और शिव बाबा दरबार मंदिरों में नव निर्मित मूर्तियों का अनावरण एवं प्राण प्रतिष्ठा की गई। मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार, विधिपूर्वक हवन तथा पूजन-अर्चन की प्रक्रिया ने श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक वातावरण प्रदान किया।
मूर्तियों की स्थापना को लेकर स्थानीय लोगों में विशेष उत्साह देखा गया। दुर्गा शंकर मिश्रा ने इस मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि “धार्मिक स्थल केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक ऊर्जा के भी स्रोत होते हैं।"
कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में भव्य कथा आयोजन हुआ, जिसमें प्रतिष्ठित कथावाचक पंडित श्री हरिशंकर मिश्रा ने भक्तों को श्री सत्य नारायण भगवान की अमृतमयी कथा सुनाई। कथा का श्रवण करते समय श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति भाव देखने लायक था।
कथा समापन के उपरांत, श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण किया गया। इसके साथ ही सामूहिक भंडारे का भी आयोजन हुआ, जिसमें क्षेत्रवासियों के साथ-साथ दूर-दराज़ से आए श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय ग्रामीणों, मंदिर प्रबंधन समिति और स्वयंसेवकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। आयोजन न केवल धार्मिक भावना को जाग्रत करने वाला रहा, बल्कि इसने सामाजिक एकजुटता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया।
पूर्व मुख्य सचिव श्री मिश्रा ने सभी आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से समाज में सकारात्मकता, श्रद्धा और एकता की भावना को बल मिलता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने सांस्कृतिक मूल्यों और धार्मिक परंपराओं से जुड़ें रहें।
इस अवसर पर मऊ जनपद के कई गणमान्य व्यक्ति, स्थानीय प्रतिनिधि एवं सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। समारोह का शांतिपूर्ण और अनुशासित संचालन सभी के लिए प्रेरणास्पद रहा।
यह आयोजन मऊ जनपद के लिए एक ऐसा अध्याय बन गया, जिसने परंपरा, श्रद्धा और सामाजिक समरसता को एक साथ जोड़ते हुए धार्मिक चेतना को नया आयाम दिया।