क्लब फुट विकार का समय रहते इलाज संभव, जीएसवीएम में शुरू हुआ जागरूकता अभियान
कानपुर में क्लब फुट डे पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा नवजात विकारों की समय से पहचान और निःशुल्क इलाज पर जोर।

कानपुर। नवजात शिशुओं में जन्मजात विकृति, विशेष रूप से क्लब फुट यानी टेढ़े पैर जैसी समस्याएं, यदि समय रहते पहचान ली जाएं तो उनका प्रभावी उपचार संभव है। इसी उद्देश्य को लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग और क्योर इंडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में क्लब फुट डे जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि यह अभियान 3 जून से 10 जून, 2025 तक राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत पूरे देश में विभिन्न चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों में चलाया जा रहा है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य माता-पिता को जागरूक बनाना है ताकि वे जन्म के तुरंत बाद क्लब फुट जैसी विकृति का इलाज शुरू करवा सकें।
डॉ. संजय कुमार ने कहा कि “बच्चों में विकृति को लेकर अक्सर मां की अनभिज्ञता इलाज में देरी का कारण बनती है। यदि जन्म के बाद या गर्भावस्था के दौरान ही अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह विकार पहचाना जाए और तुरंत इलाज शुरू किया जाए, तो बच्चों को इस स्थायी विकलांगता से बचाया जा सकता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का क्लब फुट क्लीनिक (कक्ष संख्या 36) प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार तक निःशुल्क इलाज प्रदान करता है। पिछले सात वर्षों में यहां 5,000 से अधिक क्लब फुट विकृति से ग्रस्त बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है।
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. फहीम अंसारी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गायनी डॉक्टरों द्वारा की गई अल्ट्रासाउंड जांच से बच्चे की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यदि विकृति की पुष्टि होती है तो नवजात को तुरंत उपचार केंद्र भेजा जाना चाहिए, जिससे इलाज आसान और अधिक प्रभावी हो जाता है।
कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. डॉ. संजय काला और एसआईसी डॉ. आर.के. सिंह ने बच्चों के उपचार के लिए सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यह एक साझा जिम्मेदारी है जिसमें जागरूक माता-पिता और चिकित्सा तंत्र दोनों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में अस्थि रोग विभाग के अन्य चिकित्सक, जेआर, कार्डिनेटर बिना कुशवाहा और अनेक महिलाएं व माताएं उपस्थित रहीं। अंत में सभी माताओं से अपील की गई कि यदि नवजात में कोई विकृति दिखे तो इलाज में देरी न करें।
यह कार्यक्रम क्लब फुट विकृति को जड़ से समाप्त करने की दिशा में एक सार्थक कदम माना जा रहा है।