अधिवक्ताओं ने सायंकालीन अदालतों के प्रस्ताव का किया विरोध, आंदोलन की दी चेतावनी

अधिवक्ताओं ने सायंकालीन अदालतों के प्रस्ताव को न्यायिक प्रणाली के लिए नुकसानदायक बताया, सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की।

अधिवक्ताओं ने सायंकालीन अदालतों के प्रस्ताव का किया विरोध, आंदोलन की दी चेतावनी

संजय शुक्ला

कानपुर: भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित सायंकालीन अदालतों को लेकर अधिवक्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है। कानपुर में अधिवक्ताओं की बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रस्ताव के विरोध में आवाज बुलंद की गई। इस बैठक में लॉयर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पं. रविंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार की योजना के तहत शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक सायंकालीन अदालतों का संचालन किया जाएगा, जिसमें मामूली अपराधों, चेक बाउंस मामलों और संक्षिप्त सुनवाई से जुड़े केस निपटाए जाएंगे। इसके लिए सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों और अदालती कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से न्यायपालिका की कमजोरियों को दूर करने के बजाय, अधिवक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इसे वकालत पेशे को हतोत्साहित करने और अधिवक्ताओं को हाशिए पर डालने का षड्यंत्र करार दिया। अधिवक्ताओं का कहना है कि जिला न्यायालयों में पहले ही सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक कार्यवाही होती है, जिसके बाद कागजी कार्यवाही, दस्तावेजों का संकलन और अगले दिन की सुनवाई की तैयारी में अतिरिक्त समय लग जाता है।

अधिवक्ताओं ने सवाल उठाया कि जब पहले से ही कोर्ट के कक्षों को बंद करने और फाइलों को व्यवस्थित करने में देर शाम हो जाती है, तो उन्हीं कमरों में दोबारा अदालतें संचालित करना कैसे संभव होगा? वकीलों ने चिंता व्यक्त की कि अगर यह प्रस्ताव लागू हुआ, तो उन्हें सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक अदालत में रहना पड़ेगा, जिससे उनके पास मुकदमों की तैयारी के लिए बिल्कुल समय नहीं बचेगा।

बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष राम नवल कुशवाहा ने कहा कि अधिवक्ता पहले ही लंबे समय तक काम करते हैं, और इस तरह की अदालतें लागू होने से उनके पेशे की व्यवहार्यता पर सवाल खड़े होंगे। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

बैठक में प्रमुख रूप से अरविंद दीक्षित, मो. कादिर खां, संजीव कपूर, शंभू मिश्रा, दानिश कुरैशी, अनुराग अग्निहोत्री, आयुष शुक्ला, शिवम गंगवार, अजय राठौर, राजन पटेल, वीर जोशी, शाहिद जमाल और प्रियम जोशी सहित कई अधिवक्ता मौजूद रहे। उन्होंने एकमत होकर सायंकालीन अदालतों के प्रस्ताव को वकालत पेशे के लिए हानिकारक बताया और कहा कि वे अधिवक्ता संशोधन विधेयक की तरह इस प्रस्ताव का भी पुरजोर विरोध करेंगे।

अधिवक्ताओं ने अपनी प्रमुख संस्थाओं से भी इस प्रस्ताव का विरोध करने की अपील की और कहा कि वे सरकार से इस योजना को तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ने अधिवक्ताओं की मांगों को अनसुना किया, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।