मथुरा विकास प्राधिकरण की लापरवाही से फल-फूल रही अवैध कॉलोनियां, प्रशासन का नोटिस देने तक सीमित अभियान

मथुरा में विकास प्राधिकरण की लापरवाही से अवैध कॉलोनियों का निर्माण तेजी से हो रहा है। खेतों में बाउंड्री खींचकर प्लॉटिंग जारी है। प्राधिकरण का नोटिस अभियान सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है।

मथुरा विकास प्राधिकरण की लापरवाही से फल-फूल रही अवैध कॉलोनियां, प्रशासन का नोटिस देने तक सीमित अभियान
मथुरा विकास प्राधिकरण की लापरवाही से फल-फूल रही अवैध कॉलोनियां,

मथुरा। ब्रजभूमि की पावन धरती, जिसकी महिमा का बखान संतों और कवियों ने किया है, अब तेजी से अवैध कॉलोनियों के निर्माण की चपेट में आ रही है। मथुरा विकास प्राधिकरण (एमवीडीए) की लापरवाही और प्रभावहीन कार्रवाइयों के चलते हरे-भरे खेतों में बाउंड्री खींचकर अवैध प्लॉटिंग का खेल जारी है।

सड़कों के किनारे अब खेत कम और अविकसित कॉलोनियों की बाउंड्री ज्यादा नजर आती हैं। एमवीडीए द्वारा अवैध कॉलोनियों के खिलाफ नोटिस जारी किए जाते हैं और कभी-कभी बुलडोजर भी चलता है, लेकिन यह कार्यवाही ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाती। कुछ ही समय बाद इन कॉलोनियों में फिर से निर्माण कार्य शुरू हो जाता है।

प्राधिकरण की आधी-अधूरी कार्रवाई
मथुरा के छाता क्षेत्र में मौजा रजवारी और अकबरपुर में कई जगहों पर अवैध कॉलोनियों का निर्माण देखा गया। वीके अग्रवाल, शिव कुमार शर्मा, अनूप मिश्रा और सत्यपाल अरोड़ा द्वारा छाता-गोवर्धन रोड पर लगभग पांच एकड़ भूमि पर बाउंड्री बनाकर प्लॉटिंग की जा रही थी। एमवीडीए ने इसे अवैध बताते हुए जेसीबी से ध्वस्त कर दिया।

इसी प्रकार दिल्ली-आगरा हाईवे पर मौजा अकबरपुर में संजीव झा द्वारा तीन बीघा भूमि पर प्लॉटिंग की जा रही थी। एमवीडीए ने कार्रवाई करते हुए इन अवैध कॉलोनियों के खिलाफ नोटिस जारी किया।

नोटिस और ध्वस्तीकरण की औपचारिकता
एमवीडीए द्वारा उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के तहत नोटिस जारी किए गए। लेकिन, निर्माणकर्ता के निर्धारित समय पर उपस्थित न होने के कारण सक्षम प्राधिकारी द्वारा ध्वस्तीकरण आदेश पारित किए गए। इसके बाद अवर अभियंता अनिल सिंघल और सुनील राजौरिया के नेतृत्व में प्रवर्तन दल और थाना छाता पुलिस की मौजूदगी में अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया गया।

हालांकि, इन कार्रवाइयों के बावजूद अवैध कॉलोनियों का खेल लगातार जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राधिकरण की कार्यवाही सिर्फ कागजों तक सीमित है। सचिव और उपाध्यक्ष द्वारा तय किए गए रोस्टर के अनुसार कार्रवाई की बात कही जा रही है, लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकल रहा है।

अवैध कॉलोनियों का धंधा क्यों फल-फूल रहा है?
कमजोर प्रशासनिक कार्यवाही:
प्रशासन की कार्रवाई सिर्फ नोटिस और बुलडोजर तक सीमित है। प्रभावशाली लोग प्राधिकरण की कार्यवाही को गंभीरता से नहीं लेते।

भू-माफिया सक्रिय:
जमीन माफिया हरे-भरे खेतों में बाउंड्री खींचकर प्लॉटिंग कर रहे हैं। बिना किसी बुनियादी सुविधाओं के प्लॉट बेचे जा रहे हैं।

जनता की बढ़ती मांग:
ब्रजभूमि में बसने की इच्छा रखने वाले लोग जमीन खरीद रहे हैं। हेरिटेज सिटी प्रोजेक्ट के चलते यहां जमीन की मांग तेजी से बढ़ी है।

क्या कहता है प्रशासन?
एमवीडीए के अधिकारियों का कहना है कि अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। अवर अभियंता अनिल सिंघल ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा चिन्हित अवैध कॉलोनियों को रोस्टर के अनुसार ध्वस्त किया जा रहा है। जहां भी नियमों का उल्लंघन होगा, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी।