विदेशी चश्मे से भारतीयता कभी नहीं दिखेगी : अमित शाह
लखनऊ : केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए महत्वपूर्ण बयान दिया।
उन्होंने कहा, "अगर संविधान को विदेशी दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारतीयता कभी स्पष्ट नहीं होगी।" यह बयान उन्होंने भारतीय राजनीति और संविधान पर अपनी गहरी समझ को साझा करते हुए दिया।
अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि कांग्रेस सरकार ने 55 वर्षों में संविधान में 77 संशोधन किए, जबकि बीजेपी ने 16 वर्षों में 22 संशोधन किए। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि नेहरू जी के कार्यकाल में 1951 में पहला संविधान संशोधन किया गया, जिसका उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करना था। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भी कई संशोधन किए गए, जिनसे संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को घटाने का अधिकार मिला।
शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी द्वारा किए गए संविधान संशोधनों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए 101वां संविधान संशोधन किया, वहीं 102वें संशोधन के तहत बैकवर्ड क्लास के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा मिला। इसके अतिरिक्त, मोदी सरकार ने गरीबों के लिए 10% आरक्षण और महिलाओं के लिए 33% आरक्षण देने का कदम उठाया।
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान को लेकर अपनी दोहरी राजनीति करती है, एक ओर ओबीसी के आरक्षण का विरोध करती है तो दूसरी ओर धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत करती है, जो असंवैधानिक है। उन्होंने संविधान को विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक बताया और इसे निजी संपत्ति बनाने के प्रयासों की आलोचना की।
शाह ने यह भी याद दिलाया कि 200 सालों की गुलामी के बाद, जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तब दुनिया के राजनीतिक पंडितों का मानना था कि यह देश कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकेगा, लेकिन आज 75 वर्षों के बाद भारत एकजुट होकर ताकतवर और आत्मनिर्भर बन चुका है।
अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को भी सराहा और कहा कि आज देश की राजनीति में एक तरफ मोदी जी हैं जो खुद को प्रधान सेवक मानते हैं, वहीं दूसरी ओर तानाशाही की मिसाल इंदिरा गांधी थीं, जिन्होंने खुद को शासक माना।
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