"माहवारी पर संवाद: ग्रामीण महिलाओं की आवाज़ बनी संगोष्ठी"

अम्बेडकर नगर, जलालपुर: ग्राम पंचायत भस्मा, गुवापाकड़ और आजनपारा के ग्रामीण परिवेश में, जब चुप्पी आम होती है और विषय वर्जनात्मक, तब वहां एक नई शुरुआत की गई — ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत अंतर्राष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर आयोजित की गई एक जागरूकता संगोष्ठी।
इस संगोष्ठी का आयोजन जन शिक्षण केंद्र द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों को माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था। परियोजना समन्वयक रामस्वरूप जी ने कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए इस संवेदनशील विषय पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि आज भी समाज में माहवारी को लेकर कई भ्रांतियां और चुप्पियाँ बनी हुई हैं। इसी कारण से लड़कियाँ अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों से वंचित रह जाती हैं।
“माहवारी कोई कलंक नहीं, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे समझने और अपनाने की ज़रूरत है,” रामस्वरूप जी ने कहा। उन्होंने बताया कि माहवारी स्वच्छता में सैनिटरी पैड का उपयोग, नियमित स्नान, और निजी अंगों की सफाई अत्यंत आवश्यक है ताकि संक्रमण और बीमारियों से बचा जा सके।
इस अवसर पर उपस्थित सामुदायिक कार्यकर्ता — रामहित, पुनीता, चाँदतारा, शर्मिला — ने भी महिलाओं से सीधा संवाद स्थापित करते हुए अपने अनुभव साझा किए। नारी संघ लीडर — कंचन, गीता, उर्मिला, चंद्रावती और पूनम — ने बताया कि कैसे इस प्रकार की संगोष्ठियाँ न सिर्फ स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाती हैं, बल्कि महिलाओं में आत्मविश्वास भी जगाती हैं।
कार्यक्रम के अंत में "चुप्पी तोड़ो, कलंक तोड़ो", "लड़कियों को सशक्त बनाना, भविष्य को सशक्त बनाना" जैसे प्रेरणादायक नारों के साथ महिलाओं को अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रेरित किया गया। कई महिलाओं ने पहली बार इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बात की।
इस पहल ने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए माहवारी जैसे मुद्दे पर संवाद की नई राह खोली है। अब यह सिर्फ एक स्वास्थ्य का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और महिला सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बन रहा है।