सुएज इंडिया ने नुक्कड़ नाटक से दिया संदेश : विश्व जैव विविधता दिवस पर बच्चों संग निकाली बायोडाइवर्सिटी वॉक
सुएज इंडिया ने ताऊ देवी लाल बायोडायवर्सिटी पार्क में बच्चों संग वॉक और नुक्कड़ नाटक से दी जैव विविधता की सीख।

लखनऊ: विश्व जैव विविधता दिवस-2025 के अवसर पर सुएज इंडिया ने नोबल सिटिजन फाउंडेशन के सहयोग से ताऊ देवी लाल बायोडायवर्सिटी पार्क (लखनऊ) में जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस वर्ष की थीम रही — "प्रकृति और सतत विकास के साथ सामंजस्य" — जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को जैव विविधता के महत्व और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक से हुई, जिसमें कलाकारों ने पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न जीवों और पौधों की भूमिका को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया। नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि हर प्रजाति, चाहे वह बड़ी हो या छोटी, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। लोगों से पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने की अपील की गई।
बायोडाइवर्सिटी वॉक, कार्यक्रम का एक विशेष आकर्षण रहा, जिसमें एक सरकारी स्कूल के छात्रों ने भाग लिया। बच्चों ने प्रकृति की गोद में चलते हुए स्थानीय पेड़-पौधों, पक्षियों और अन्य जैव प्रजातियों के बारे में सीखा और यह अनुभव किया कि शहरीकरण के बीच जैव विविधता को सुरक्षित रखना क्यों आवश्यक है।
इस मौके पर सुएज इंडिया के सीईओ रश्मि रंजन रे ने कहा, "यह वॉक सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव का एक अनुभव था। बच्चों, शिक्षकों और समाज के साथ संवाद करते हुए हमने टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया। सुएज इंडिया में हम जल प्रबंधन के साथ जैव विविधता संरक्षण को भी उतनी ही प्राथमिकता देते हैं।”
सुएज इंडिया, जो 1978 से भारत में जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन में सक्रिय है, वर्तमान में हर दिन करीब 100 करोड़ लीटर वेस्टवॉटर का ट्रीटमेंट करती है। वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर कंपनी ने 3 अरब क्यूबिक मीटर अपशिष्ट जल का शोधन किया और 25 लाख टन सेकंडरी रॉ मटेरियल की रिकवरी की।
2023–2027 की सस्टेनेबिलिटी रोडमैप के तहत सुएज इंडिया ने प्राकृतिक आवास निर्माण, स्थानीय प्रजातियों का वृक्षारोपण, जैव विविधता ऑडिट और सामुदायिक जागरूकता अभियानों को प्राथमिकता में रखा है।
इस पूरे कार्यक्रम ने बच्चों, अभिभावकों और आम लोगों के बीच यह स्पष्ट संदेश दिया कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा केवल सरकार या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की साझा जिम्मेदारी है।