नैनो उर्वरकों के लाभ से जागरूक हुए किसान, दांडी गांव में आयोजित हुई ज्ञानवर्धक चौपाल
प्रयागराज के दांडी गांव में किसान चौपाल में नैनो उर्वरकों की उपयोगिता पर किसानों को किया गया जागरूक।

प्रयागराज: खाद और उर्वरक के आधुनिक उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रयागराज के खानपुर दांडी गांव में एक विशेष किसान चौपाल का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण किसान शामिल हुए, जिन्हें नैनो उर्वरकों के उपयोग की विधियों और उनके लाभों की जानकारी दी गई।
चौपाल का मुख्य उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर वैज्ञानिक और टिकाऊ कृषि प्रणाली की ओर ले जाना था। कार्यक्रम में विशेष रूप से नैनो यूरिया प्लस और नैनो डीएपी जैसे उन्नत तकनीक पर आधारित उर्वरकों की उपयोगिता को समझाया गया।
इकाई प्रमुख एवं वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक संजय कुदेशिया ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि नैनो उर्वरक, पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में न केवल अधिक प्रभावी हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित और कम खर्चीले हैं। उन्होंने कहा कि इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और पैदावार भी बेहतर होती है।
जनसंपर्क अधिकारी स्वयं प्रकाश ने जानकारी दी कि नैनो यूरिया प्लस को पत्तियों पर स्प्रे किया जाता है जिससे यह सीधे फसल द्वारा अवशोषित होकर तुरंत पोषण प्रदान करता है। वहीं, नैनो डीएपी बीज अंकुरण और फसल की प्रारंभिक बढ़वार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वरिष्ठ प्रबंधक (प्रशिक्षण) अनुराग तिवारी ने बताया कि नैनो उर्वरकों का उपयोग करने से किसान मिट्टी की सेहत सुधारते हुए उत्पादन बढ़ा सकते हैं, जिससे खाद्यान्न की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होता है। उन्होंने किसानों को इसकी उपयोग विधि, मात्रा और सावधानियों के बारे में भी विस्तार से बताया।
कोरडेट के डॉ. हरिश्चंद्र ने जोर देकर कहा कि कृषि में तकनीकी बदलाव समय की मांग है और किसानों को नई खोजों को अपनाने के लिए जागरूक और तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये उर्वरक फसलों को संतुलित पोषण प्रदान करते हैं और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लाभदायक सिद्ध होते हैं।
कार्यक्रम में स्थानीय किसानों जैसे बी.डी. सिंह, रणजीत सिंह, राम बहादुर पटेल, गुड़िया देवी, शंकर लाल और अभिनव सिंह ने चौपाल को अत्यंत उपयोगी और जानकारीपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से उन्हें कृषि में आत्मनिर्भरता और सुधार की प्रेरणा मिलती है।
चौपाल में उपस्थित स्थानीय नागरिकों ने भी वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की मांग की।