लखनऊ विट्स एक बार फिर लद्धड़ साबित
लक्ष्मण पूरी नवाबी शहर एवं मेट्रो सिटी के निवासी होने का गुमान करने वाले आम चुनाव के पांचवी फेस में जिस तरह से लद्धड़ एवं फिसड्डी साबित हुए, उससे शहर वासियों की नाक कट गई। सभ्य एवं अनुशासित जीवनचर्या का ढोंग एवं प्रपंच करने वालों की कलई खुल गई।
मौकापरस्त खुदगर्ज समाज केवल अफसर के लिए जीता है सरकारी रेडियो या वैक्सीन इनकम टैक्स में छूट विकास एवं सुरक्षा की अभिलाषा रखता है लेकिन अपनी देह में तपन और धूप के थपेड़े लेने के लिए तैयार नहीं वोटिंग के दिन को छुट्टी का दिन मानकर छुट्टी बीतता है हमें चिंता होती है कि इन लखनऊ का कर्मधारियों कहीं सियाचिन के ग्लेशियर वह कश्मीर की ठंडी वादियों वी राजस्थान के मरुस्थल में भेज दिया जाए तो यह गद्दार पाकिस्तान और चीन को भी भारत की जमीन यूं ही सौंप कर चले आएंगे।
संभवत उनके अंदर उन्हें नवाबों का खून बह रहा है जिनके बारे में किस्सा मशहूर है जब दुश्मन की फौज आई तो इसलिए नहीं भागे क्योंकि उनको जूते पहनने वाला कोई नहीं था। ऐसे रहे लखनऊ के बुजुर्गवार । कल भी ऐसा ही कुछ हुआ सरकार चुनाव आयोग में देश एवं शहर के महान विभूतियों के अनुग्रह अपील एवं निवेदन के बावजूद तमाम लखनऊ विट वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर नहीं पहुंचे इनमें 80% वोट न डालने की कोई जायज वजह नहीं दे पाए तो कुछ वोट न देने के सवाल पर मुंह चुराते हुए दिख रहे हैं।
धन्य हो शहर के अनपढ़ कमजोर एवं जागरूक मतदाता जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन न करते हुए अपने मताधिकार का प्रयोग किया न केवल सेल्फी खींची बल्कि व्हाट्सएप स्टेटस डालकर दूसरे मतदाताओं को उत्साहित किया। लखनऊ शहर के कम मतदान का एक बड़ा कारण चुनाव आयोग के कार्य नियम पालन के निर्देश हैं जिस राजनीतिक दलों के पोस्टर बैनर प्रचार वाहन नदारत रहे। जिससे न कार्यकर्ताओं की बीच जोश रहा और ना ही शहर वासियों के बीच। एक बार फिर साबित हो गया कि टेलीविजन वह मोबाइल से निकला जोश बेडरूम और ड्राइंग रूम से सिमट कर रह जाता है।
हमें सबसे ज्यादा गुस्सा तो देश और शहर के पंडित मुल्ला एवं ग्रंथियां पर आया जो जरा से धर्म विरुद्ध कार्य करने पर महापाप तनख्वाह एवं फतवा जारी करने की धमकी देते हैं वह देश व समाज विरोधी कार्य पर काहे चुप्पी सादे रहते हैं इसी तरह सभ्य समाज के लोगों से अपील ही जाती है कि जिस देश में राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को महाभियोग चलाने का प्रावधान है इस देश के मतदाताओं द्वारा किए जा रहे पाप के लिए कहे क्षमादान?
लिए मतदान न करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करें!
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