मुख्य सचिव ने नोडल अधिकारियों संग की बैठक, विकास कार्यों के स्थलीय निरीक्षण के दिए सख्त निर्देश

मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में नोडल अधिकारियों को विकास कार्यों के निष्पक्ष निरीक्षण हेतु निर्देशित किया।

मुख्य सचिव ने नोडल अधिकारियों संग की बैठक, विकास कार्यों के स्थलीय निरीक्षण के दिए सख्त निर्देश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश शासन की विकास योजनाओं की धरातली सच्चाई और जनसामान्य का फीडबैक सीधे जानने की मंशा से मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह ने राज्य के सभी जनपदों के लिए नामित नोडल अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अहम बैठक की। इस बैठक में मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिनांक 24 और 25 मई को जनपद भ्रमण कर योजनाओं की निष्पक्ष समीक्षा और निरीक्षण करने के स्पष्ट निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने बताया कि शासन स्तर से यह पहल इसलिए की जा रही है ताकि फाइलों पर दर्शाए गए आंकड़ों और वास्तविक स्थिति के बीच अंतर को समझा जा सके और सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। उन्होंने नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने भ्रमण के दौरान जल जीवन मिशन, गौ-आश्रय स्थल, और प्रमुख निर्माण परियोजनाओं का रैंडम निरीक्षण करें।

जल जीवन मिशन पर विशेष फोकस: मुख्य सचिव ने जल जीवन मिशन के तहत घर-घर जल पहुंचाने की स्थिति, ओवरहेड टैंक निर्माण, ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस व्यवस्था, रोड कटिंग के बाद मरम्मत की गुणवत्ता, तथा जल कनेक्शन शुल्क की वसूली जैसे बिंदुओं पर सघन जांच के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि गांवों में जाकर लोगों से योजना का फीडबैक लिया जाए कि क्या उन्हें वास्तव में योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं। साथ ही, सोलर उपकरणों की कार्यशीलता और उनकी साफ-सफाई की स्थिति को भी रिपोर्ट में सम्मिलित किया जाए।

गौ-आश्रय स्थलों की स्थिति का मूल्यांकन: मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि नोडल अधिकारी जनपदों में संचालित गौ-आश्रय स्थलों का दौरा कर वहां के संचालन, वित्तीय उपयोग, पशुओं की देखभाल, और भूसा बैंक की स्थिति की समीक्षा करें। साथ ही, जिन लाभार्थियों को नि:शुल्क गाय दी गई है, उनसे भी संवाद कर योजना की उपयोगिता और क्रियान्वयन पर प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया प्राप्त करें।

निर्माण परियोजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के निर्देश: राज्य में चल रही बड़ी और महत्वपूर्ण निर्माण परियोजनाओं जैसे सड़कों, पुलों, सरकारी भवनों आदि की प्रगति की जानकारी लेने और यथास्थिति का स्वतंत्र मूल्यांकन करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने जोर देकर कहा कि निरीक्षण पूर्णतया पारदर्शी हो और कहीं कोई औपचारिकता न बरती जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि इस निरीक्षण का उद्देश्य केवल जानकारी एकत्र करना नहीं, बल्कि विकास कार्यों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता का यथार्थ आकलन करना है। उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी कोताही या लीपापोती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो अधिकारी ईमानदारी से निरीक्षण करेंगे, उनके सुझावों के आधार पर ही शासन आगे की रणनीति तय करेगा।

बैठक में शासन के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित रहे। इस पहल से शासन को न केवल योजनाओं के धरातली क्रियान्वयन की वास्तविक तस्वीर प्राप्त होगी, बल्कि जनता के विश्वास को भी बल मिलेगा।

इस समीक्षा अभियान को उत्तर प्रदेश सरकार की जवाबदेही बढ़ाने और सुशासन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।