फिर मुरीद हुए हम पंडित नेहरू के

Reservation is a grave injustice to the golden talents

फ़रवरी 28, 2024 - 06:02
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फिर मुरीद हुए हम पंडित नेहरू के
We became admirers of Pandit Nehru

आरक्षण स्वर्ण प्रतिभाओं के प्रति घोर अन्याय है

अखिल सावंत

देश के प्रधानमंत्री एवं दूसरे भाजपाई देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की चाहे जितनी आलोचना करें देश की तमाम समस्याओं के लिए कितना ही दोषी ठहराएं जैसे कश्मीर समस्या चीन को सुरक्षा परिषद में बैठना देश के बंटवारे आदि के संबंध में इन खामियों के उत्तर पंडित नेहरू में कुछ खासियत भी थी जिसके लिए पंडित नेहरू को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रधानमंत्री पद के लिए तमाम विरोधों के बावजूद चयनित किया था।

तत्कालीन समय में भारतीय राजनीति में एकमात्र राजनीतिक थे जिनके अंग्रेज राजनीति को से अंतर संबंध थे। जिसकी बदौलत नेहरू जी बंटवारे के समय देश के मन मुताबिक साधन अंग्रेजों से साथ वह हासिल कर सके इसमें सबसे ज्यादा प्रमुख योगदान रहा लेडी माउंटबेटन का जिनके नेहरू के साथ निजी अंतर संबंध थे जो सर्वविदित है। यही नहीं पंडित नेहरू का दूसरा महत्वपूर्ण योगदान रहा आजादी के बाद सरदार पटेल को देश का गृहमंत्री बनने में जिन्होंने देसी रियासतों का विलय करके देश को एक सूत्र में बांध एवं आजादी के पूर्व की संपत्तियों के बंटवारे के लिए भारतीय पक्ष की अगवाही की जिम्मेदारी सरदार पटेल को सौंपी।

पंडित नेहरू जानते थे कि किया जिन्ना की सौदेबाजी से सरदार पटेल ही निपट सकते हैं क्योंकि नेहरू जी रॉयल टाइप के व्यक्ति थे वह जिन्ना की जीत के आगे समर्पण कर सकते थे सरदार पटेल ने अपनी योग्यता को बंटवारे के दौरान दिखाई भी केवल नोट छापने वाली मशीन भारत के पक्ष में हासिल की बल्कि देश के क्षेत्र अनुसार संपत्तियां भी भारत को दिलवाई नेहरू जी के प्रति प्रेम आदर और सम्मान उसे समय और बढ़ गया जब पीएम मोदी ने खुलासा किया कि नेहरू जी दलित पिछड़े आदिवासियों के आरक्षण के प्रबल विरोधी थे उनका मानना था कि आयोग की असहाय लोगों को आरक्षण की बैसाखी देने से देश की कार्यक्षमता प्रभावित होगी योग व्यक्तियों के हितों के साथ अन्याय होगा

कमजोर व्यक्तियों को अगर सरकार संरक्षण देना चाहती है तो शैक्षिक सुविधा प्रदान करें एवं संसाधन उपलब्ध कारण इस संदेश को पंडित नेहरू ने देश के तमाम मुख्यमंत्री के पास प्रेषित किया इस आदेश को देते समय नेहरू जी ने पार्टी हित की भी परवाह नहीं की जबकि आज कोई भी राजनेता आरक्षण की विरुद्ध बोलने का साहस नहीं करता दिन पर दिन आरक्षण का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है जो प्रतिभावान छात्रों के साथ अन्याय है अत्याचार है तथा मंगलकारी है।

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